- फीस के लिए दबाव नहीं डाल सकते हैं स्कूल
- शैक्षणिक संस्थानों से ऑनलाइन क्लास कराने को भी कहा
कोरोना वायरस के कारण देश में 21 दिन का लॉकडाउन लागू है. रेल, बस, विमान सेवा के साथ ही स्कूल-कॉलेज भी बंद हैं. कई प्रतियोगी परीक्षाएं भी टाली जा चुकी हैं. अब गौतमबुद्ध नगर (नोएडा) और गाजियाबाद के जिलाधिकारी ने शैक्षणिक संस्थानों को लेकर भी सख्त रुख अपना लिया है.
नोएडा के जिलाधिकारी सुहास एल वाई ने आदेश दिया है कि कोई भी शैक्षणिक संस्थान लॉकडाउन की अवधि के दौरान अभिभावकों को फीस का भुगतान करने के लिए बाध्य न करे. जिलाधिकारी ने साथ ही यह भी कहा है कि शैक्षणिक संस्थान छात्रों की पढ़ाई के लिए ऑनलाइन क्लास की सुविधा उपलब्ध कराएं.
महामारी का रूप लेती जा रही कोरोना की बीमारी को देखते हुए जिलाधिकारी ने यह आदेश जारी किया है. आदेश का उल्लंघन करने पर दो साल तक कैद की सजा हो सकती है. इससे पहले नोएडा में लागू धारा 144 की अवधि भी 30 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दी गई.
धारा 144 की अवधि बढ़ाने का आदेश अपर पुलिस उपायुक्त आशुतोष द्विवेदी की ओर से जारी किया गया. गौरतलब है कि कोरोना वायरस के मामले देश में तेजी से बढ़ रहे हैं. उत्तर प्रदेश में कोरोना के सर्वाधिक मामले राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से सटे नोएडा में सामने आए हैं.
गाजियाबाद प्रशासन ने जारी किया आदेश
नोएडा के बाद गाजियाबाद प्रशासन ने भी कहा है कि लॉकडाउन अवधि में कोई भी स्कूल या दूसरे तरह का शैक्षणि संस्थान बच्चों के अभिभावकों से फीस जमा करने के लिए उन्हें बाध्य नहीं करेगा.
गाजियाबाद के जिलाधिकारी अजय शंकर पांडेय ने आपदा प्रंबधन अधिनियम 2005 एवं एपेडमिक एक्ट के तहत जिले के सभी शैक्षणिक संस्थाओं को कहा है कि वे फीस देने के लिए बच्चों के अभिभावकों को बाध्य नहीं करेंगे और न ही उन्हें ऑनलाइन पढ़ाई से वंचित करेंगे. इसके साथ ही किसी भी हालत में बच्चों का नाम स्कूल से नहीं काटा जाएगा. इस प्रावधान का उल्लंघन कने पर 1 साल की सजा हो सकती है. आदेश के मुताबिक जो अभिभावक सक्षक हैं वो फीस जमा कर सकते हैं.
Source :aajtak.intoday.in
