- सोशल डिस्टेंसिंग से कोरोना की रफ्तार में आई कमी
- लॉकडाउन ने केसों को काबू रखने में की मदद
कोरोना वायरस ने दुनिया भर में करीब 4 अरब लोगों को लॉकडाउन कर रखा है. वैक्सीन के उपलब्ध नहीं होने और वायरस की ऊंची संक्रमण क्षमता होने की वजह से सोशल डिस्टेंसिंग ही इससे लड़ने का शायद एकमात्र रास्ता रह गया है. यही वजह है कि धरती पर इंसान की आधी आबादी घरों के अंदर ही रहने को मजबूर है. लॉकडाउन ने अनेक देशों में आर्थिक गतिविधियों को ठप कर दिया है. सार्वजनिक स्थल वीरान हैं. लॉकडाउन से पर्यावरण में ज़रूर सुधार हुआ है लेकिन क्या इससे कोरोनावायरस केसों की संख्या पर क्या कोई असर पड़ा है?
इंडिया टुडे डाटा इंटेलीजेंस यूनिट (DIU) ने पांच देशों में कोरोनावायरस केसों के हर दिन बढ़ने की संख्या को खंगाला. ये पांच देश हैं- भारत, इटली, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी. DIU ने पाया कि इन देशों में लॉकडाउन ने केसों के काबू रखने में मदद की है.
भारत का केस
भारत में लॉकडाउन 25 मार्च से अमल में आया और फिलहाल इसे 14 अप्रैल तक चलना है. भारत में 11 मार्च को कोरोना वायरस केसों ने 50 के आंकड़े को पार किया था. उसके बाद 24 मार्च तक देश में कोरोना वायरस केसों के हर दिन बढ़ने की औसत रफ्तार 20% रही. वहीं 25 मार्च से 8 अप्रैल के बीच का डाटा दिखाता है कि हर दिन के आधार पर केस बढ़ने की औसत रफ्तार 17% रही. इसका मतलब औसतन हर दिन केस बढ़ने की रफ्तार में लॉकडाउन की वजह से 3% की कमी आई.
डाटासेट ये भी दिखाता है कि केसों का औसतन बढ़ना लॉकडाउन से पहले की अवधि की जगह लॉकडाउन वाली अवधि में अधिक स्थिर रहा.
इसके लिए हमने स्टेटिस्टिक्स के एक टूल कोएफिशिएंट ऑफ वेरिएशन (CV) का इस्तेमाल किया जिसने हमें डेटासेट की स्थिरता को जानने में मदद की. जितना कम CV होगा उतना ही डाटा स्थिर होगा.
हर दिन बढ़ने (%) का CV लॉकडाउन से पहले 0.6 था और लॉकडाउन की अवधि में ये 0.4 रहा.
सबसे ज्यादा प्रभावित देशों पर लॉकडाउन का असर
हालांकि भारत ने केसों के हर दिन बढ़ने की औसत रफ्तार में 3 फीसदी की कमी देखी, लेकिन दूसरे अत्यधिक प्रभावित देशों से तुलना की जाए तो ये बदलाव छोटा लगता है. हमने इस डाटा की तुलना इटली, स्पेन, फ्रांस और जर्मनी से की. क्योंकि अमेरिका ने अभी तक पूर्ण लॉकडाउन लागू नहीं किया, इसलिए हमने उसे अपने विश्लेषण से बाहर रखा.
इटली
इटली में कोरोनावायरस की वजह से सबसे ज्यादा मृत्यु दर देखी. 9 मार्च को इटली ने कुछ निश्चित क्षेत्रों से बढ़ा कर पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया. तब तक इटली में 7,000 से अधिक पुष्ट कोरोनावायरस केस थे. लॉकडाउन से पहले इटली में कोरोनावायरस केस 38% की रफ्तार से बढ़े. वहीं लॉकडाउन में ये रफ्तार सिर्फ 11% ही रही.
डाटा को बांटने से पता चलता है कि लॉकडाउन के पहले 10 दिनों में इटली में औसतन कोरोनावायरस केस 18% की रफ्तार से बढ़े. अगले 10 दिन यानि 19-28 मार्च की अवधि में ये केस बढ़ने की औसत रफ्तार 11% रही. वहीं ये रफ्तार अगले दस दिन यानि 29 मार्च से 7 अप्रैल के बीच 5% पर आ गई.
स्पेन
अगर कोरोनावायरस केसों की संख्या को देखा जाए तो अमेरिका के बाद दुनिया में दूसरा नंबर स्पेन का है. 9 अप्रैल को रात 8 बजे तक स्पेन में 1,50,000 से ज्यादा पुष्ट कोरोनावायरस केस सामने आ चुके थे.
14 मार्च को स्पेन ने पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया. तब तक देश में 4,231 केस ही थे. इससे पहले स्पेन में COVID-19 केस हर दिन औसतन 40% की रफ्तार से बढ़ रहे थे. लॉकडाउन की अवधि में ये औसतन रफ्तार 16% ही रही.
लॉकडाउन के पहले हफ्ते (14-21 मार्च), हर दिन केस बढ़ने की औसत रफ्तार 40 फीसदी से 25 पर आ गई. उससे अगले हफ्ते (21-27 मार्च) ये हर दिन बढ़ने की औसत 18% पर आ गिरी. वहीं 28 मार्च से 4 अप्रैल तक ये 9% हो गई. इसका मतलब है कि लॉकडाउन से पहले हर दिन चार गुणा ज्यादा रफ्तार से बढ़ रहे थे.
फ्रांस
फ्रांस ने देशव्यापी लॉकडाउन 16 मार्च से लागू किया. तब तक देश में 4,469 केस थे. तब तक हर दिन फ्रांस में केस बढ़ने की औसत रफ्तार 35% थी. लॉकडाउन अवधि में हर दिन केस बढ़ने की औसत रफ्तार फ्रासं में 13 फीसदी ही रही.
स्पेन और इटली की तरह फ्रांस में भी लॉकडाउन के पहले हफ्ते में ही असर दिखना शुरू हो गया. लॉकडाउन के पहले हफ्ते में फ्रांस हर दिन केस बढ़ने की औसत रफ्तार 18% रही जो दूसरे हफ्ते में 12% और तीसरे हफ्ते में 8% पर आ गिरी.
जर्मनी
जर्मनी ने दो से ज्यादा लोगों (विस्तारित परिवार) के इकट्ठा होने के साथ ही अन्य पाबंदियां 22 मार्च से लागू कीं. उस वक्त जर्मनी में 21,463 ही कोरोनावायरस पुष्ट केस थे.
इन पाबंदियों से पहले, कोरोनावायरस केस हर दिन औसतन 31% रफ्तार से बढ़ रहे थे. लॉकडाउन लागू होने के बाद कोरोनावायरस केस जर्मनी में 10 फीसदी की हर दिन औसत रफ्तार से बढ़े. पिछले तीन दिनों में जर्मनी में औसत हर दिन रफ्तार 4 फीसदी ही रही है.
यहां ये गौर करने लायक है कि भारत में हर दिन की औसत बढ़ोतरी (फीसदी में) चार सबसे प्रभावित देशों की तुलना से मेल नहीं खाती. ये भी अहम है कि भारत ने जब लॉकडाउन का एलान किया था तो तुलनात्मक तौर पर यहां कोरोनावायरस केसों की संख्या बहुत कम थी.
ऊपर भारत के अलावा जिन चार देशों का जिक्र किया गया वहां जब लॉकडाउन का ऐलान किया गया तो कोरोनावायरस केसों की संख्या 5,000 का आंकड़ा पार कर चुकी थी. जर्मनी ने 23,000 केस सामने आने के बाद लॉकडाउन लागू किया. भारत ने जब लॉकडाउन का ऐलान किया तब यहां कोरोना वायरस पुष्ट केस 500 से कुछ ही ज्यादा थे. भारत ने लॉकडाउन का ऐलान करने में तेजी दिखाई, बाकी चार देशों की तुलना में ज्यादा केस बढ़ने का इंतजार नहीं किया.
Source :aajtak.intoday.in
