एक फेसबुक यूज़र ने ‘देशभक्त ‘ नाम के एक ग्रुप में यह वीडियो पोस्ट करते हुए कैप्शन में लिखा: “गरीबों के लिए राहतकार्य में जुटे हमारे देश के इस्लामिक भाई कैसे कोरोना वायरस को आगे फैलाने की कोशिश की जा रही है जरूर देखें और अपनी बंद आंखों को खोलने की कोशिश जरूर करें?”
इस वीडियो को खबर लिखे जाने तक 11000 से ज़्यादा लोग शेयर कर चुके हैं. वॉट्सऐप समेत कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी यह वीडियो खूब वायरल है.
इंडिया टुडे एंटी फेक न्यूज़ वॉर रूम (AFWA) ने अपनी पड़ताल में पाया कि यह वीडियो 2018 से इंटरनेट पर मौजूद है और इसका कोरोना वायरस से कोई लेना देना नहीं है.
एक अन्य फेसबुक यूजर ‘Pradeep Bagga ‘ ने इसी वीडियो को नये कैप्शन के साथ शेयर करते हुए लिखा, “खाने में थूक फ़ेंक कर कोरोना वायरस को आगे फैलाने की कोशिश की जा रही गरीबों के लिए राहत कार्य में जुटे हमारे देश के इस्लामिक भाई कैसे कोरोना वायरस को आगे फैलाने की कोशिश की जा रही है जरूर देखें और अपनी बंद आंखों को खोलने की कोशिश जरूर करें ?????”
वायरल वीडियो को InVID टूल की मदद से रिवर्स सर्च करने पर हमें यही वीडियो यूट्यूब पर मिला, जो 15 दिसंबर 2018 को पोस्ट किया गया था. इस वीडियो के साथ मलयालम भाषा में एक कैप्शन भी लिखा हुआ था, जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है, ‘जो लोग इस्लाम में बरकत का मतलब नहीं समझते हैं, उन्हें ही इस थूके हुए भोजन को खाना चाहिए.’
यही वीडियो जनवरी में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के दौरान शाहीन बाग से जोड़कर भी वायरल हुआ था. उस समय भी आजतक ने इस वीडियो की सच्चाई सबके सामने रखी थी. पूरी खबर को यहां पढ़ा जा सकता है.
हालांकि, यह पक्के तौर पर नहीं कहा जा सकता है कि यह वीडियो कहां और कब शूट किया गया, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह कम से कम दो साल पुराना वीडियो है जो नागरिकता संशोधन कानून के विरुद्ध प्रदर्शन के दौरान भी वायरल हो चुका है. इस वीडियो का कोरोना वायरस प्रकोप के चलते हुए लॉकडाउन और इस दौरान के राहत कार्यों से कोई संबंध नहीं है.
Source :aajtak.intoday.in
