- ऋषि कपूर की हिना फिल्म भारत-पाकिस्तान का एक ज्वाइंट प्रोजेक्ट था जिसके डायलॉग राज कपूर के कहने पर पाकिस्तानी लेखक हसीना मोइन ने लिखे थे
- पाकिस्तान सरकार पेशावर किस्सा ख्वानी बाजार की कपूर हवेली को म्यूजियम बनाने जा रही है

पाकिस्तान के लाहौर से रिपोर्ट. लगातार दूसरा दिन है जब किसी बॉलीवुड सितारे की मौत हुई है। सिसकियां सरहद के इस ओर से भी सुनाई दी हैं। एक दिन पहले इरफान खान और आज ऋषि कपूर की मौत का गम पाकिस्तान में भी है।
जहां एक ओर दिलों पर राज करने वाले ऋषि कपूर की इबारत भारतीय सिनेमा में हमेशा के लिए जिंदा रहेगी, वहीं उनके खानदान की विरासत सरहद के इस पार पाकिस्तान में भी खड़ी है। पाकिस्तान में ऋषि कपूर को उनकी अदाकारी के अलावा खैबर पख्तून की राजधानी पेशावर में मौजूद उनके खानदान की जड़ों के लिए भी पहचाना जाता है।
भारतीय सिनेमा के कपूर खानदान की यह मशहूर कपूर हवेली पेशावर के रिहायशी इलाके में हैं। यह कपूर परिवार की कई पुश्तों का घर रहा है। बंटवारे से पहले बनी यह हवेली पृथ्वीराज कपूर के पिता और ऋषि कपूर के परदादा दीवान बशेश्वरनाथ कपूर ने 1918-1922 के बीच बनवाई थी। पृथ्वीराज कपूर फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेनेवाले कपूर खानदान के पहले व्यक्ति थे। इसी हवेली में पृथ्वीराज कपूर के छोटे भाई त्रिलोकी कपूर और बेटे राजकपूर का जन्म हुआ था।
हवेली के बाहर लगी लकड़ी की प्लेट के मुताबिक, बिल्डिंग का बनना 1918 में शुरू हुआ और 1921 में यह तैयार हो गई। इस हवेली में 40 कमरे हैं और हवेली के बाहरी हिस्से में खूबसूरत मोतिफ उकेरे हुए हैं। आलीशान झरोखे इस हवेली के ठाठ की गवाही देते हैं।

1947 में बंटवारे के बाद कपूर खानदान के लोग बाकी हिंदुओं की तरह शहर और हवेली छोड़कर चले गए। 1968 में एक ज्वैलर हाजी कुशल रसूल ने इसे खरीद लिया और फिर पेशावर के ही एक दूसरे व्यक्ति को बेच दिया।
फिलहाल हवेली के मालिक हाजी इसरार शाह हैं। वह कहते हैं कि उनके पिता ने 80 के दशक में यह हवेली खरीदी थी। उस इलाके में रहनेवालों के मुताबिक, इस जगह का इस्तेमाल बस शादी ब्याह जैसे जश्न में किया जाता है। पेशावर में ही रहनेवाले वहां पुराने मेयर अब्दुल हाकिम सफी बताते हैं कि ये हवेली पिछले दो दशकों से खाली पड़ी है और इसके मालिक भी कभी कबार ही यहां आते हैं।
राजकपूर के छोटे भाई शशि कपूर और बेटे रणधीर-ऋषि को 1990 में पाकिस्तान के पेशावर वाले अपने पुश्तैनी घर जाने का मौका मिला था। लौटते वक्त वह आंगन की मिट्टी साथ ले गए थे, ताकि अपनी विरासत को याद रख सकें।
ऋषि कपूर ने अपनी इस यात्रा का जिक्र एक इंटरव्यू में भी किया था। वह 1990 में फिल्म हिना की शूटिंग के लिए लाहौर, कराची और पेशावर गए थे। इसके डायलॉग राजकपूर के कहने पर पाकिस्तानी लेखक हसीना मोइन ने लिखे थे।
Yes back in 1990. We shot for “Henna” in Islamabad. Visited Lahore,Karachi and my family hometown Peshawar. https://t.co/3DHT72yk97
— Rishi Kapoor (@chintskap) November 22, 2015
हवेली के पुराने मालिकों ने इस धरोहर की ऊपरी तीन मंजिलों को कई साल पहले गिरा दिया। भूकंप से उनकी दीवारों में दरारें पड़ गईं थीं। अब यह हवेली आसपास से दुकानों से घिरी हुई है, जो इसकी दीवारों पर बोझ बन इसके लिए खतरा पैदा कर रही हैं।
हाल ही में ऋषि कपूर ने पाकिस्तान की सरकार से इसे बचाने के लिए मदद मांगी थी। विदेशमंत्री शाह महमूद कुरैशी कहते हैं, ऋषि कपूर ने मुझे फोन किया था। वह चाहते थे कि उनके पारिवारिक घर को म्यूजियम या इंस्टीट्यूट बना दिया जाए। हमने उनका आग्रह मान लिया है।
पाकिस्तान सरकार पेशावर किस्सा ख्वानी बाजार के इस घर को अब म्यूजियम बनाने जा रही है। इसमें आईएमजीसी ग्लोबल एंटरटेंमेंट और खैबर पख्तून की सरकार भी मदद कर रही है। यह पाकिस्तान में बॉलीवुड की सबसे मजबूत धरोहर है। कई विदेशी पर्यटक और स्थानीय लोग इसे देखने आते हैं।
एक किस्सा यह भी..
रावलपिंडी में रहनेवाले सिनेमा एक्सपर्ट आतिफ खालिद कहते हैं, कपूर पेशावर के जानेमाने पठान थे। वे पृथ्वीराज कपूर का जिक्र करते हुए कहते हैं कि जब सब इंस्पेक्टर बशेश्वरनाथ का बेटा (पृथ्वीराज) पेशावर से बांबे फिल्मों में काम करने गया तो भारत में तब की सबसे बड़ी फिल्म मैगजीन के एडिटर बाबूराव ने लिखा था – जो पठान ये सोचते हैं कि वह एक्टर बन जाएंगे तो उनकी यहां कोई जगह नहीं है। लेकिन कपूर खानदान ने वहां जो नाम कमाया, वैसा और किसी के हिस्से नहीं आया।
True artists are always humanists. Rishi Kapoor’s last message regarding Pakistan was on the 19th of March. https://t.co/Qhmlxrsne9
— Hasan Zaidi (@hyzaidi) April 30, 2020
